Thursday, May 31, 2018

लेखन-1. भगवान और घर (स्वकीयलेख)



भगवान कहां है?
घर कहां है?
घर तो कहीं भी है, हर जगह है।
भगवान भी हर जगह है।
भगवान कैसा रहता है?
घर कैसा रहता है?
घर तो कैसे भी रह सकता है; बहुत प्रकार का रहता है।
भगवान भी बहुत प्रकार के रहते हैं; और कैसे भी रह सकते हैं।
भगवान क्या करते हैं?
घर में क्या करते हैं?
बसाते हैं, रहलाते हैं।
भगवान भी बसाते हैं, रहलाते हैं।
भगवान कितने बड़े रहते हैं?
घर कितना बड़ा रहता है?
भगवान का स्वरूप क्या है?
घर का स्वरूप क्या है?
भगवान किस दिशा में रहते हैं?
घर किस दिशा में रहता है?
भगवान किसके हैं?
घर किसका है?
घर सब का, यानी किसी का भी हो सकता है।
तो भगवान भी सब के, यानी किसी के भी हो सकते हैं।
क्या भगवान का नाम होता है?
क्या घर का नाम होता है?
हां होता है, कुछ भी हो सकता है।
भगवान का कुछ भी नाम हो सकता है।



(उपमान व उपमेय में साम्य जितना उतना ही लेंगे। एक छोटा सा प्रयास ही है, कोई तथ्य या वाद नहीं)



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